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Independence Day Special Songs: Ae Mere Watan, Jay Jay Janani Janmbhumi

15 August Songsभारतीय फिल्म संगीत को समृद्ध करने में महिला संगीतकारों को बड़ा योगदान है. सरस्वती देवी को पहली महिला संगीतकार कहा जाता है. स्वतंत्रता संग्राम के दौर में उन्होंने कुछ देशभक्ति गाने तैयार किए, जो आज भी सुने जाते हैं

Independence day special


Ae Mere Watan Ke logo Song: गाना 1963 में लिखा गया था. उस लिहाज से इस साल इसे 60 साल पूरे हो चुके हैं. कवि प्रदीप इसके रचयिता थे और इसे गाया था स्वर कोकिला लता मंगेशकर.

Independence Day Special

देश आजादी की एक और वर्षगांठ मनाने के लिए पूरी तरह तैयार है. भले ही आज की पीढ़ी ने आजादी का वो संघर्ष ना देखा हो लेकिन हिंदी सिनेमा की देशभक्ति फिल्मों में काफी हद तक हम उससे रूबरू हो चुके हैं. वहीं देशभक्ति की भावना से लबरेज गाने भी हमें आजादी के महत्व को अच्छी तरह समझा देते हैं. ऐसा ही एक गाना है ऐ मेरे वतन के लोगों. जिसे आज भी सुना जाए तो आंखें नम हो जाती हैं, आजादी, आजादी के लिए लड़ाई और हमारे शहीदों के बलिदान को समर्पित ये गाना आज भी रोंगटे खड़े कर देता है.लेकिन इस गाने के बनने के पीछे की कहानी भी दिलचस्प है.

कवि प्रदीप ने लिखा, लता मंगेशकर ने गाया

ये गाना 1963 में लिखा गया था. उस लिहाज से इस साल इसे 60 साल पूरे हो चुके हैं. कवि प्रदीप इसके रचयिता थे. भारत और चीन के बीच 1962 में युद्ध हुआ जिसमें भारत को हार का सामना करना पड़ा था. इस युद्ध के बाद आए गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में होने वाले समारोह के लिए खासतौर से कवि प्रदीप से एक गीत की रचना करने का आग्रह किया गया था. जिसे उन्होंने खूब लिखा और आवाज दी स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने. दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के सामने उन्होंने ये गाना गाया तो तब तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा स्टेडियम गूंज उठा और आंखों से अश्रु धारा बह निकली थी. 26 जनवरी 1963 को ये पहली बार गाया गया था.

समंदर किनारे टहलते हुए कवि प्रदीप ने लिखा था गीत

कहा जाता है कि जब देशभक्ति की भावना से लबरेज एक गीत कवि प्रदीप को लिखने का जिम्मा दिया गया तो वो इसे लेकर काफी गंभीर थे. एक दिन वो समंदर किनारे टहलते हुए लहरों को निहार रहे थे तभी उनके दिमाग में कुछ पंक्तियां आईं और बिना देर करते हुए उन्होंने उन लाइनों को वही लिख डाला. लेकिन वहां पेपर मौजूद नहीं था. लिहाजा सिगरेट की डिब्बी में अंदर मौजूद रहने वाले कागज पर ही उन्होंने इस गीत की शुरुआती लाइनें लिख दी थीं. बाकि गाना बनने के बाद इस गाने ने क्या इतिहास रचा वो हमें बताने की जरूरत नहीं है. 

Azadi Ke Gaane

15 अगस्त 1947 को देश के आजाद होने से पहले, अंग्रेजी राज में फिल्में बनाना आसान काम नहीं था. अंग्रेजों का सेंसर बोर्ड था और वह ध्यान रखता था कि ऐसी कोई बात पर्दे पर न जाए, जिससे भारतीयों के आजादी के आंदोलन को किसी तरह की हवा मिले. लोगों में देशप्रेम की भावनाएं जागें. लेकिन ऐसा नहीं है कि फिल्म निर्माता-निर्देशक खामोश बैठते थे. वे कहानी में किरदारों-संवादों-गीतों के बहाने ऐसे रास्ते ढूंढ ही लेते थे, जिससे दर्शकों में देशप्रेम की भावनाएं लहराने लगे. उसी दौर में बने कुछ देशभक्ति गीत (Patriotic Songs) आज भी बहुत लोकप्रिय हैं. ये आज भी राष्ट्रीय गौरव की भावना पैदा करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि फिल्मों में ऐसा सबसे पहला गीत कब आयाॽ हम बताते हैं.

जय जय जननी जन्मभूमि

देशप्रेम के सबसे शुरुआती गीतों में अशोक कुमार अभिनीत फिल्म जन्मभूमि (1936) का गाना मिलता है. इस गाने के बोल थे, जय जय जननी जन्मभूमि.... यह गाना आज भी यूट्यूब (Youtube Songs) पर मिलता है और आप देख-सुन सकते हैं. जे.एस.कश्यप ने लिखा था. जबकि इस गीत को संगीत में पिरोया था, सरस्वती देवी (Sarswati Devi) ने. असल में वह एक पारसी महिला, जिनका असली नाम खुरशीद मिनोचर-होमजी था. लेकिन उस दौर में महिलाओं के लिए बाहर निकलकर काम करना, फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा बनना अच्छी नजर से नहीं देखा जाता था. खुरशीद पारसी थीं और जब पारसी समाज के लोगों को पता चला कि वह फिल्मों के लिए संगीत बना रही हैं, गा रही हैं तो वे बहुत नाराज हुए.

चल चल रे नौजवान

सरस्वती देवी 1930 के दशक की शानदार संगीत निर्देशक थीं. वह अपने समय के सबसे बड़े स्टूडियो बॉम्बे टॉकीज में बतौर संगीत निर्देशक नौकरी करती थीं. उन्होंने बॉम्बे टॉकीज (Bombay Talkies) के लिए कई हिट फिल्मों का संगीत तैयार किया था. हिमांशु राय (Himanshu Roy) ने उनके फिल्म इंडस्ट्री में काम करने वाले उनके समाज के लोगों को समझाया कि वह खुरशीद का नाम बदल कर पर्दे पर देंगे, जिससे उन्हें बदनामी का कोई डर नहीं रहेगा. अतः उन्होंने खुरशीद को सरस्वती देवी नाम दिया. अछूत कन्या का मैं बन की चिड़िया बनके... जैसा प्रसिद्ध गाना उन्होंने ही तैयार किया. यही नहीं, जय जय जननी जन्मभूमि के बाद उन्होंने एक और यादगार-अमर देशभक्ति बनाया. 1940 की फिल्म बंधन में यह गाना था, चल चल रे नौजवान.... इसे अशोक कुमार (Ashok Kumar) ने गाया और अभिनीत किया था. गाना कवि प्रदीप ने लिखा था. आज भी 15 अगस्त (15 August) पर यह गाना खूब बजता है.




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